रेशम जैव प्रौद्योगिक अनुसंधान प्रयोगशाला के बारे में

अवलोकन

शहतूत उत्पादक किस्मों तथा द्विप्रज रेशमकीट प्रभेदों के विकास द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ग्रेड के भारतीय रेशम उत्पादित करने की समस्या का हल करने के लिए केवल परम्परागत प्रजनन अथवा उन्नत कीटपालन प्रणाली ही पर्याप्त नहीं है ।

ऐसी स्थिति में, परंपरागत प्रणाली की प्रतिक्रिया स्वरूप विरोध करने वाली विभिन्न समस्याओं के हल के लिए आण्‍विक जीव विज्ञान तथा आनुवंशिक इंजीनियरिंग के उभरते अनुप्रयोग के काम का फायदा उठाने का निर्णय किया गया ।

तदनुसार केन्द्रीय रेशम बोर्ड (केरेबो) ने 1993 में विश्व बैंक के सहयोग से राष्ट्रीय रेशम परियोजना के अन्तर्गत रेशम जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित किया । रेशम जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना रेशमकीट/परपोषी पौधों के आण्‍विक जीव विज्ञान में अनुसंधान करने के लिए सुदृढ़ बुनियादी अनुसंधान प्रयोगशाला की आवश्यकता को साकार करने के लिए की गई । रेशम जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशाला गुणवत्तापूर्ण रेशम के उत्पादन के लिए रेशमकीट प्रजातियों तथा परपोषी पौधों के सुधार के सहायतार्थ आधुनिक जीवविज्ञान के सीमांत क्षेत्रों में अनुसंधान के प्रति रेशम उद्योग में जैव प्रौद्योगिकी संबंधी निवारण प्रदान करने के लिए अधिकार प्राप्त है ।

संरचनात्मक तथा कार्यात्मक संजीन संसाधनों के विकास तथा प्रबंधन, नई जीन तथा उत्तेजकों के पृथ्क्करण एवं लक्षण-वर्णन, उच्च सुविधाओं तथा ट्रांसजेनिक के विकास के आधार पर बुनियादी अनुसंधान तथा वाणिज्यिक पहलुओं के लिए कार्य की प्रकृति की दृष्टि से संभाव्य अनुसंधान एवं उत्पाद की उपयोगी प्रौद्योगिकी के रूप में रेशम जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशाला की महत्त्वपूर्ण भूमिका है ।